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Showing posts from May 12, 2019

जिंदगी की जद्दोजहद

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क्या ख़ता थी मेरी ए  खुदा -2 की मुझे ऐसी सजा दी है , सजा देनी ही थी तो मौत की देते, क्यों सजा में ये जद्दोजहद की ज़िंदगी दी है ! क्या कोई कमी थी मेरी साधना में आपके प्रति यदि थी तो जरा  बता देते , मैं कोशिश करता की दुबारा  ऐसी कोई  भूल ना हो मुझसे -2 पर आपने तो बिना कुछ कहे ही सजा दी है , और यदि सजा देनी ही थी तो मौत की देते , क्यों सजा में ऐसी जिंदगी दी है,, जिसका कोई मान नहीं कोई मोल नहीं ए खुदा आपने ये क्या कर दी है , क्यों सजा में ये जद्दोजहद की जिंदगी दी है ! पर मैं  हार नहीं मानूँगा मैं  -2 क्षत्रिय का रक्त है मेरे रग रग  में , चंद्रवंशी होने का गुमान है मेरे मन मे  ,कि ढूँढू गा आपको मै तबतक  जबतक प्राण है मेरे तन में और जिस दिन मिले ना आप हमे , बता दूँगा  मैं आपको की आपने कितनी बड़ी गलती की है ,  यदि आपको सजा देनी ही थी तो मौत की देते , क्यों आपने सजा में ये जद्दोजहद की जिंदगी दी है !!!!!! source

समझना आसान नहीं है यह लोकतंत्र का संदेह अलंकार जो है

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हमारे बरामदे में विराजमान होने के बाद आता है। कभी-कभी जब दरवाजा खटखटाता है तो हम उसके खटखटाने के तरीके से पहचान लेते हैं। कोई अंजान ठकठक होती है तो आदमी स्वाभाविक रूप से यही प्रश्न करता है- कौन है ? आज दरवाजे के खटखटाने से अधिक मुखर था प्रश्न- मैं कौन हूं ? आज के ज़माने में आदमी रोज मिलने वाले तक को पूरी तरह से नहीं पहचान पाता तो दरवाजे के पीछे छुपी शै को कैसे पहचाने ? जब आज तक रामविलास पासवान, जया प्रदा, अजित सिंह, अमर सिंह, हिमाचल वाले सुखराम आदि खुद को नहीं पहचान पाए कि उनका खुद का राजनीतिक दर्शन क्या है और उनकी वास्तविक राजनीतिक पार्टी कौन सी है ? कौन सा घर असली है जहां वापसी के बाद फिर आवागमन का चक्कर नहीं रहेगा। हमने सूफ़ी दर्शन वाला उत्तर दिया- जो अन्दर है, वही बाहर है। तोताराम अंदर आते हुए बोला- इस ‘मैं भी चौकीदार’ वाली मुहिम जैसे उत्तर से पार नहीं पड़ेगी। फिर भी तेरा उत्तर आंशिक रूप से सही है। बाहर भी सत्तर पार का टिकट वंचित निर्देशक मंडल का एक सदस्य और अंदर भी सत्तर पार का टिकट वंचित निर्देश मंडल का सदस्य। लेकिन मेरे कन्फ्यूजन को समझे बिना तू मेरे प्रश्न के साथ न्याय न

भारत का इतिहास

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भारत का इतिहास कई हजार वर्ष पुराना माना जाता है। मेहरगढ़ पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है जहाँ नवपाषाण युग (७००० ईसा-पूर्व से २५०० ईसा-पूर्व) के बहुत से अवशेष मिले हैं। सिन्धु घाटी सभ्यता, जिसका आरम्भ काल लगभग ३३०० ईसापूर्व से माना जाता है, प्राचीन मिस्र और सुमेर सभ्यता के साथ विश्व की प्राचीनतम सभ्यता में से एक हैं। इस सभ्यता की लिपि अब तक सफलता पूर्वक पढ़ी नहीं जा सकी है। सिन्धु घाटी सभ्यता वर्तमान पाकिस्तान और उससे सटे भारतीय प्रदेशों में फैली थी। पुरातत्त्व प्रमाणों के आधार पर १९०० ईसापूर्व के आसपास इस सभ्यता का अकस्मात पतन हो गया। १९वी शताब्दी के पाश्चात्य विद्वानों के प्रचलित दृष्टिकोणों के अनुसार आर्यों का एक वर्ग भारतीय उप महाद्वीप की सीमाओं पर २००० ईसा पूर्व के आसपास पहुंचा और पहले पंजाब में बस गया और यहीं ऋग्वेद की ऋचाओं की रचना की गई। आर्यों द्वारा उत्तर तथा मध्य भारत में एक विकसित सभ्यता का निर्माण किया गया, जिसे वैदिक सभ्यता भी कहते हैं। प्राचीन भारत के इतिहास में वैदिक सभ्यता सबसे प्रारंभिक सभ्यता है जिसका सम्बन्ध आर्यों के आगमन से है। इसका नामकरण आर्यों क