जिंदगी कठिन है, यह मानकर ही जीना चाहिए|
जिंदगी कठिन है। यह कठिन इसलिए है कि हम अपनी क्षमताओं को पहचानते ही नहीं। अपने आपसे रू-ब-रू नहीं होते, लक्ष्य की तलाश और तैयारी दोनों ही अधूरेपन से करते हैं। इसी कारण जीने की हर दिशा में हम औरों के मुंहताज बनते हैं, औरों का हाथ थामते हैं, उनके पदचिन्ह खोजते हैं। आखिर कब तक औरों से मांगकर उधार सपने जीते रहेंगे? कब तक औरों के साथ तुलते रहेंगे और कब तक बैशाखियों के सहारे मीलों की दूरी तय करते रहेंगे यह जानते हुए भी कि बैशाखियां सिर्फ सहारा दे सकती है, गति नहीं? मनुष्य जीवन में तभी ऊंचा उठता है, जब उसे स्वयं पर भरोसा हो जाए कि मैं अनंत शक्ति सम्पन्न हूं, ऊर्जा का के न्द्र हूं। अन्यथा जीवन में आधा दुःख तो हम इसलिए उठाते फिरते हैं, कि हम समझ ही नहीं पाते कि सच में हम क्या है? इसलिये जिंदगी कठिन है। हमें जिंदगी को कठिन मानते हुए ही जीना चाहिए और हमें बिना समय, भाग्य, परिस्थिति, अवसर, व्यक्ति की प्रतीक्षा किए इस कठिन जीवन के संग्राम को ‘कुछ’ कर सकने के हौंसले जीतने के लिए अग्रसर होना चाहिए। एक महत्वपूर्ण पुस्तक ‘दि रोड लेस टेवल्ड’ के लेखक एम. स्कॉट पैक, एम.डी. कहते हैं कि ‘जिंदगी कठिन है’